12 जून, 2025 को संयुक्त राष्ट्र में ग़ाज़ा युद्धविराम पर भारत का मतदान से दूर रहना उसकी ऐतिहासिक नैतिक विरासत से गहरा धोखा है। कभी जो देश PLO को मान्यता देने वाला पहला गैर-अरब देश था और जिसने यासिर अराफात को NAM में आमंत्रित किया, आज वही भारत इज़राइल के सामने झुक गया है। यह मोदी सरकार की नैतिक कायरता और दोहरी विदेश नीति का प्रमाण है। जहाँ इज़राइल ग़ाज़ा, वेस्ट बैंक, सीरिया, यमन और ईरान पर हमले कर रहा है, वहाँ भारत की चुप्पी उसकी अंतरात्मा की हत्या है। अगर भारत निर्दोष जिंदगियों की रक्षा करने से डरता है, तो वह अपनी नैतिक ताकत और वैश्विक सम्मान दोनों खो देता है। दुनिया उसी देश की सुनती है जो साहस और ईमानदारी से बोलता है — भारत को अपनी वह आवाज़ बचाकर रखनी चाहिए। पवन खेड़ा राष्ट्रीय प्रवक्ता, भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस @Pawankhera